इस्लाम धर्म में वजू के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। वजू किए बिना कोई भी इंसान अल्लाह से बात नहीं कर सकता। क़ुरआन के अनुसार गंदी जगह पर वजू करना सही नहीं है क्योंकि वजू पवित्र क्रिया है। वजू खाना (Wazu Khana) यदि गंधा हो तो वजू न पूरा होने का ख़तरा रहता है। इस लेख में हम वजू खाना क्या होता है जानेंगे।

वजू खाना क्या होता है
मुस्लिम धर्म में नमाज अदा करने से पहले अपने आप को साफ करने की विधि को वजू कहा जाता है और जिस स्थान पर यह काम किया जाता है उसे वजू खाना (Wazu Khana) कहा जाता है। वजू एक शारीरिक क्रिया है। खुद को साफ करने के लिए यह एक धार्मिक और बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रक्रिया में प्रत्येक मुस्लिम व्यक्ति अपनी नमाज अदा करने से पहले हाथ, मुंह, नाक, चेहरा, हाथ, सिर और पैर धोता है।
आसान शब्दों में कहें तो मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करने से पहले शारीरिक शुद्धता के लिए वजू करते हैं। वजू इस्लाम की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शरीर को शुद्ध करने के लिए मुंह, सिर, पैर और दोनों हाथों को कोहनी तक पानी से अच्छी तरह धोया जाता है। इस जगह को वजू खाना (Wazu Khana) कहा जाता था। इस्लाम के जानकारों का कहना है कि वजू करने के बाद ही नमाज़ पढ़ी जा सकती है या अल्लाह की इबादत की जा सकती है।
वजू इबादत का एक अहम हिस्सा है। अगर कोई अज्ञानता या लापरवाही के कारण इस प्रक्रिया को छोड़ देता है, तो अल्लाह उसकी प्रार्थनाओं को स्वीकार नहीं करता है। वजू करने का स्वास्थ्य लाभ यह है कि हाथ और चेहरा धोने से व्यक्ति रोग और बीमारियों से मुक्त हो जाता है। दिन में 5 बार नमाज पढ़ी जाती है। जबकि हर नमाज के बाद वुजू करना जरूरी नहीं है। अगर वुज़ू टूट जाए तो उसे दोबारा करना पड़ता है।
वजू करते समय इधर उधर बात नहीं करनी चाहिए। दरअसल, वजू के बाद नमाज पढ़ी जाती है। नमाज में हम अल्लाह की इबादत करते हैं और अल्लाह की इबादत करते हुए दुनिया की हर चीज से दूर रहना चाहिए। कुरान में पानी की बर्बादी को बहुत गलत बताया गया है। कुरान में कहा गया है वजू के दौरान अधिक पानी बर्बाद करना सही नहीं है।
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