भले ही हमारे देश में टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत कम है, लेकिन धीरे-धीरे यह बढ़ रहा है। पहले कागज के टिश्यू सिर्फ होटलों के वॉशरूम में ही देखे जाते थे, लेकिन अब ऑफिस और कई घरों में भी इनका जमकर इस्तेमाल हो रहा है। क्या आपने कभी सोचा है कि टॉयलेट पेपर हमेशा सफेद ही क्यों होता है? टिशू पेपर प्रिंटेड और रंगीन हो सकता है, लेकिन टॉयलेट पेपर हमेशा सफेद ही रहता है।

टॉयलेट पेपर हमेशा सफेद ही क्यों होता है
टॉयलेट पेपर हमेशा सफेद होता है इसके पीछे कोई नियम नहीं है, लेकिन ऐसा होने के पीछे वैज्ञानिक और व्यावसायिक कारण है। इसके अलावा पर्यावरण की सुरक्षा के लिए टॉयलेट पेपर का रंग सफेद रखा जाता है। इसके कारणों की बात करें तो बिना ब्लीच वाले कागज का रंग भूरा होता है। इसे ब्लीच करके सफेद किया जाता है। इसे भूरे रंग में रंगने की तुलना में ब्लीच करने में कम खर्च होता है। इसलिए टॉयलेट पेपर की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए कंपनियां इसे सफेद रखती हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पर्यावरण की दृष्टि से सफेद टॉयलेट पेपर रंगीन पेपर की तुलना में तेजी से विघटित होगा, इसलिए इसका रंग सफेद रखा जाता है। साथ ही रंगीन कागज के इस्तेमाल से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं नहीं होती हैं, इसलिए डॉक्टर भी सफेद टॉयलेट पेपर को बेहतर मानते हैं।
हालांकि टॉयलेट पेपर को सफेद रखने के पीछे इतना महत्वपूर्ण कारण है, कुछ कंपनियों ने रंगीन या प्रिंटेड टॉयलेट पेपर बनाने की कोशिश की है लेकिन ऐसा पेपर चलन में नहीं आ सका। दुनिया के लगभग सभी देशों में सफेद रंग के टॉयलेट पेपर का ही इस्तेमाल हो रहा है।
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