जर्मन यूनिवर्सिटी ऑफ फिजिक्स एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर जॉर्ज साइमन ओम ने 1827 में एक नियम तैयार किया जिसमें उन्होंने विद्युत प्रवाह और संभावित अंतर के बीच संबंध स्थापित किया। इस लेख में हम, ओम का नियम क्या है यह जानेंगे।

ओम का नियम क्या है
ओम के नियम (Ohm’s Law) के अनुसार, यदि भौतिक स्थितियों जैसे तापमान आदि को स्थिर रखा जाता है, तो एक प्रतिरोधक के सिरों पर विभवान्तर उसमें से बहने वाली धारा के समानुपाती होता है।
अर्थात, V ∝ I या,
या,
R, को युक्ति का प्रतिरोध कहा जाता है। इसका एक मात्रक ओम (ohm) है।
वास्तव में ‘ओम का नियम’ कोई नियम नहीं है बल्कि यह ऐसी वस्तुओं के ‘प्रतिरोध’ को परिभाषित करता है जिसे अब ‘ओम का प्रतिरोध’ कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, यह वस्तुओं के उस गुण को दर्शाता है जिसकी V-I विशेषता एक सीधी रेखा है।
यह ज्ञात है कि इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग किए जाने वाले कई उपकरण ओम के नियम का पालन नहीं करते हैं। ऐसे उपकरणों को विषम उपकरण कहा जाता है। उदाहरण के लिए, एक डायोड एक विषम उपकरण है।
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