मानक भाषा एक भाषा का वह भाषा अनुप्रयोग या भाषा है जिसे किसी समुदाय, राज्य या राष्ट्र में संपर्क भाषा का दर्जा प्राप्त है और जिसका उपयोग लोक संवाद में किया जाता है। इन भाषाओं को अक्सर मानकीकरण की प्रक्रिया से गुजरते हुए मानक बनाया जाता है, जिसमें औपचारिक व्याकरण, शब्दकोश और अन्य भाषाई रचनाएँ उनके लिए बनाई और प्रकाशित की जाती हैं। इस लेख में हम मानक भाषा की विशेषताएं और मानक भाषा का स्वरूप क्या है जानेंगे।

मानक भाषा का स्वरूप
मानक भाषा का स्वरूप व प्रकृति हिंदी भाषा की उस स्थिर रूप से है, जो अपने पूरे क्षेत्र में शब्दावली और व्याकरण की दृष्टि से एक समान है। इसलिए यह सभी लोगों द्वारा स्वीकार किया जाता है, सभी लोगों द्वारा आसानी से समझा जा सकता है। वह अन्य भाषा रूपों की तुलना में अधिक प्रतिष्ठित है। मानक हिंदी भाषा देश की आधिकारिक हिंदी भाषा है। यह सरकार की भाषा है। ज्ञान विज्ञान की भाषा है, साहित्य संस्कृति की भाषा है। अधिकांश विद्वान, साहित्यकार, राजनेता औपचारिक अवसरों पर इस भाषा का प्रयोग करते हैं।
मानक भाषा की विशेषताएं
- इसमें मानक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
- मानक भाषा व्याकरणिक है।
- मानक भाषा क्षेत्रीय या स्थानीय उपयोगों से बचने की प्रवृत्ति रखती है।
- यह लगातार नई आवश्यकताओं के अनुसार विकसित होती है।
- मानक भाषा नए शब्दों को प्राप्त करने और बनाने में सक्षम है।
- व्यक्तिगत प्रयोगों की विशिष्टता, क्षेत्रीय विशेषताओं या शैलीगत अंतरों के बावजूद, इसकी संरचना मजबूत और स्थिर है।
- मानक भाषा हमारे सांस्कृतिक, शैक्षिक, प्रशासनिक, संवैधानिक क्षेत्रों का कार्य करने में सक्षम है।
- वह स्पष्ट, अच्छी तरह से दृढ़ और निश्चित है, उसके संचार से कई गलतफहमियां नहीं होती हैं।
किसी भी प्रकार की त्रुटि को दोष माना जाता है। - वह पवित्र, ऋषि और कुलीन है।
- यह उस समाज या राज्य की राजभाषा है।
- इसका उपयोग समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, अनुवाद, समाचार प्रसारण प्रशासन आदि में किया जाता है।
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