धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कलियुग में भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतरित होंगे। कलियुग और सतयुग में कल्कि अवतार होगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार कलियुग में जब पाप की सीमा पार हो जाएगी तो कल्कि अवतार संसार में दुष्टों का नाश करने के लिए प्रकट होगा। अगर आप नहीं जानते की कल्कि अवतार क्या है तो हम इस आर्टिकल में इसके बारे में बताने जा रहे है।

कल्कि अवतार क्या है
धार्मिक और पौराणिक मान्यता के अनुसार जब पृथ्वी पर पाप बहुत बढ़ जाएगा। तब विष्णु का यह अवतार यानि ‘कल्कि अवतार’ दुष्टों का नाश करने के लिए प्रकट होगा। कल्कि को हिंदू भगवान विष्णु का दसवां अवतार और विष्णु का भविष्य या अंतिम अवतार माना जाता है। वैष्णव ब्रह्मांड विज्ञान के अनुसार, हिंदुओं को कलियुग के अंत में, चार अंतहीन चक्रों में से अंतिम, भगवान विष्णु का दसवां अवतार माना जाता है। जब भगवान कल्कि देवदत्त नाम के घोड़े पर सवार होकर दुष्टों को तलवार से मारेंगे, तब सतयुग की शुरुआत होगी।
शास्त्रों के अनुसार यह अवतार भविष्य में होने वाला है। कलियुग के अंत में जब शासकों के साथ अन्याय बढ़ेगा। चारों ओर पापों की वृद्धि होगी और अत्याचारों की प्रबलता होगी, तब भगवान विष्णु इस संसार के कल्याण के लिए कल्कि के रूप में अवतरित होंगे।
कल्कि का जन्म किकट देश के ‘शम्भल’ नामक गाँव में विष्णुयशस् नामक ब्राह्मण के पुत्र के रूप में होगा। गोत्र पाराशर होगा। कल्कि का सिंहल शासक बृहद्रत की बेटी पद्मा से शादी होगी। अपने जीवन के पच्चीस वर्षों में वह विश्व का सम्राट होगा। वह हाथ में लंबी तलवार लिए हुए दुष्टों और अधर्मियों को घोड़े पर सवार करके संहार करेगा। पुजारी याज्ञवल्क्य इस काम में उनकी मदद करेंगे। धर्म की पुन: स्थापना के बाद, वह अंततः गंगा और यमुना के संगम पर देहविसर्जन करेंगे। इसके बाद कलियुग समाप्त होगा और सतयुग शुरू होगा। इस प्रकार कल्किपुराणदिकों से भविष्यवाणी बनती है।
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