असहयोग आंदोलन (Non-cooperation Movement) महात्मा गांधी की देखरेख में शुरू किया गया पहला जन आंदोलन था। इस आन्दोलन का व्यापक जनाधार था। इसे शहरी क्षेत्रों में मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और आदिवासियों का व्यापक समर्थन मिला। इसमें मजदूर वर्ग की भी भागीदारी रही। इस प्रकार यह पहला जन आंदोलन बन गया। इस लेख में हम असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण क्या था जानेंगे।

असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण क्या था
असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण जलियांवाला बाग हत्याकांड था, जो 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर, पंजाब के स्वर्ण मंदिर के पास जलियांवाला बाग में हुआ था। रॉलेट एक्ट के विरोध में एक सभा हो रही थी, जिसमें जनरल डायर नाम के एक अंग्रेज अधिकारी ने बिना कारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियां चला दीं। जिसमें 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 2000 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
अमृतसर के उपायुक्त कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के रिकॉर्ड में इस घटना में 200 लोग घायल हुए और 379 लोग शहीद हुए, जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6 सप्ताह का बच्चा था। अनौपचारिक आंकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए।
यदि किसी एक घटना का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा, तो वह था यह जघन्य नरसंहार। इस घटना को भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत माना जाता है। 1997 में महारानी एलिजाबेथ ने इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी। 2013 में, ब्रिटिश प्रधान मंत्री डेविड कैमरन ने भी स्मारक का दौरा किया। विजिटर्स बुक में उन्होंने लिखा है कि “यह ब्रिटिश इतिहास की एक शर्मनाक घटना थी।”
जब जलियांवाला बाग में यह हत्याकांड हो रहा था, उस समय उधम सिंह वहां मौजूद थे और उन्हे भी गोली लगी थी। उन्होंने तभी फैसला किया कि वह इसका बदला जरूर लेंगे। 13 मार्च 1940 को, उन्होंने लंदन के कैक्सटन हॉल में इस घटना के समय ब्रिटिश लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ’डायर की गोली मारकर हत्या कर दी। ऊधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को फांसी दी गई थी। हालांकि, गांधी और जवाहरलाल नेहरू ने उधम सिंह द्वारा इस हत्या की निंदा की थी।
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